Tuesday, May 24, 2016

गुलझार

कभी कभी?
हर मुस्कराहटमें मिलता है गुलजार
हर आँसू में हंसता है गुलजार
सडक के किनारे खडे..
हर पीपलसे पुछो
उसकी सुखी शाखोंसें
पुकारता है गुलजार
सिग्नलपे गुलाबके फुल बेचती किसी मासुमको देखो
उसकी चमकती आंखोमे
नजर आता है गुलजार
अक्सर देखा है मैंने आईनेको
मेरी सुरतपें हंसते हुए
उसकी हंसीमें छुपा
मेरे अंदर झांकता रहता है गुलजार
हर वो सांस जो रुक जाती है
कश्मकशमें जिंदगीकीं
कभी दिलकी नजरसे देखो
वहा डेरा डाले रहता है गुलजार
जहां रुक जाती है सोंच मेरी
वहीसे आगे का...
रास्ता दिखाता है गुलजार !

विशाल

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