Thursday, June 15, 2017
ख्वाब ... जो अभी देखें ही नही
छुईमुई सी रात
अँधेरेके आँचलमें
संजोकर रखती
सुबहा के ख्वाब
किसी मुलाकात में
हमने पूँछा उसका राज
हँसकर बोली...
मेरे गुदड़ी के लाल
कभी जब उजालों से डर लगे
तो आ जाना बेझिझक..
कुछ तुम्हें भी दूंगी
जो छुपाकर रख्खे है ख्वाब !
© विशाल
अँधेरेके आँचलमें
संजोकर रखती
सुबहा के ख्वाब
किसी मुलाकात में
हमने पूँछा उसका राज
हँसकर बोली...
मेरे गुदड़ी के लाल
कभी जब उजालों से डर लगे
तो आ जाना बेझिझक..
कुछ तुम्हें भी दूंगी
जो छुपाकर रख्खे है ख्वाब !
© विशाल
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