Sunday, September 18, 2016

आज का अखबार ...!



वैसे तो अखबार...
काफी साफ सुथरा 'दिखता' है रोज
श्वेत रंग में लिपटे कृष्णवर्णी हर्फ
अच्छे लगते है आँखोको.. !

आज का अखबार सुर्ख था...
अब कुछ दिनो तक
ये सुर्ख रंग सुरखींयोमे रहेगा
खबरोकें बाजार गरम होंगे
बहस चलेगी चौराहोंपें
न्याय-अन्याय के ठेकेदार चर्चा में रहेंगे
इस्तीफे मांगे जाएंगे
सतरा के बदले एकसो सत्तर के नारे लगेंगे
कश्मीर हो या पंजाब...
या फिर मेरी अनजान गलीका
कोई सुनसान कोना ,
हम उंगलिया उठायेंगे जरूर
एक दुसरें पर...
सांसदोमें बहस होगी
नीतीमत्ता के मुद्दे उठेंगे
फिर दोपहर के सत्र में
चाय के साथ बिस्कुट बनाके खायें जाएंगे
...
....
रास्तो पर उठती धुल
आहिस्ता-आहिस्ता बैठ जायेगी
सत्रह घर धीरे धीरे
अपने दिलोमें उठती
असहनिय टिसको सहेजना सिख ही लेंगे
और हम... ?
हम फिर इंतजार करेंगे
किसी और सुर्ख अखबार का !

विशाल कुलकर्णी
१९-०९-२०१६

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