Tuesday, April 12, 2022
गुमसुम
घाटी के किसी..,
अनजान हिस्से में
जुगनुओ के मेले
ठंडे पडे है
जहाँ जमघट लगते थे
पंछीयों के...
वहां, बिलकुल वहीं..
ढलान के किसी मोड पर
सन्नाटे के आगोश में
सदियो से एक चाँद,
गुमसुम सा बैठा है l
कहतें है..
आजकल उसकी,
रात के निगेहबानोंसे
कुछ खास बनती नहीं
जबसे...
चाँदनी उससे रूठी हुयी है |
विशाल कुलकर्णी
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